भूख से कोई नही मरा । - Er. Nitin - Just Enjoy Life Forgetting World.

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बुधवार

भूख से कोई नही मरा ।

भूख से कोई नही मरा ।


गांव में अफरातफरी थी. लोगों की आंखें आसमान की तरफ लगी थीं. वे आसमान में पानी के लिए नहीं, बल्कि इसलिए टकटकी लगाए हुए थे, क्योंकि वहां हैलीकौप्टर से मंत्रीजी आने वाले थे. मंत्रीजी वहां इसलिए आ रहे थे, क्योंकि अखबारों में यह खबर छपी थी कि उस गांव में कुछ लोग भूख से मर गए हैं. मंत्रीजी को इस बात पर कतई यकीन नहीं था कि कोई भूख से मरा होगा. उन का मानना था कि आदमी अपने कर्मों से मरता है, भूख तो केवल एक बहाना है. इस में सरकार क्या करे. पर वे अपने मन की इन बातों को लोगों के सामने जाहिर नहीं करना चाहते थे. इस से वोट बैंक पर बुरा असर पड़ सकता था.


फिलहाल मंत्रीजी जिला हैडक्वार्टर पहुंच चुके थे. अफसरों के साथ बैठक और लंच के बाद गांव के दौरे पर जाने का कार्यक्रम था. बाहर विरोधी दल के लोग काले झंडे दिखा रहे थे. 

पुलिस दूर से ही उन्हें डंडे दिखा रही थी. अभी तक केवल देखनेदिखाने का ही खेल चल रहा था. आगे क्याक्या होना था, यह किसी को पता नहीं था. भीतर अफसरों के साथ मंत्रीजी की मीटिंग चल रही थी. मंत्रीजी ने मिनरल वाटर का घूंट भरा. दिन में वे केवल मिनरल वाटर ही पीते थे. उन्होंने बड़े अफसर से सवाल किया, ‘‘क्या यह सच है कि आप के जिले में लोग भूख से मरे हैं ऐसी खबर छपने पर आप को शर्म आनी चाहिए. आप को पता है कि ऐसी खबरों से सरकार और हमारी इमेज पर कितना बड़ा धब्बा लग सकता है ’’


पीछे खड़ा एक छोटा अफसर, जिस का तबादला मंत्रीजी ने रुकवा दिया था, बुदबुदाया, ‘‘सर्फ ऐक्सल है न.’’ उधर मंत्रीजी कह रहे थे, ‘‘भूख से मरे या प्यास से, खबर तो नहीं छपनी चाहिए थी. कौन है जनसंपर्क अधिकारी उसे तत्काल सस्पैंड करो, समझे. बोलिए, क्या कहना चाहते हैं आप ’’ उस अधिकारी ने बड़ी तमीज से अर्ज किया, ‘‘सर, यह खबर सरासर गलत है. कुछ लोग मरे जरूर हैं, पर भूख से नहीं, वे उलटीसीधी चीजें खाने से मरे हैं. इस में प्रशासन की कोई गलती नहीं है. उन की पोस्टमार्टम रिपोर्टों में भी लिखा हुआ है कि उन के पेट में आम की गुठलियां पाई गई थीं, जो जहरीली थीं.


‘‘सर, वे लोग बहुत चालाक थे, यानी आम के आम और गुठलियों के दाम. भूख से मरने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता.’’


मंत्रीजी ने ऐसे सिर हिलाया, जैसे उन के मन की बात कह दी गई हो. वे बोले, ‘‘लगता तो यही है, यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है. इस के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और विदेशियों का हाथ हो सकता है. क्या इस बारे में आप लोगों ने पता लगाया है ’’


अधिकारी महोदय ने जवाब दिया, ‘‘श्रीमानजी, हम भी इस की जांच करा रहे हैं.’’


मंत्रीजी ने पूछा, ‘‘क्या इस जिले में अनाज की कोई कमी है ’’


अधिकारी बोले, ‘‘नहीं सर, गोदाम भरे पड़े हैं. सैकड़ों टन अनाज तो बाहर ही सड़ गया है. ऐसी हालत में भूख से मरने का तो सवाल ही नहीं उठता.’’


मंत्रीजी झुंझला कर बोले, ‘‘पर सवाल तो उठ ही गया है. विरोधी लोग चीखचीख कर रोज यही सवाल उठा रहे हैं. उस का क्या करोगे ’’


अफसर समझदार था. वह जानता था कि ऐसी हालत में चुप रहना ही समझदारी है.


मंत्रीजी ने फिर पूछा, ‘‘क्या मरने वाले गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के सदस्य थे’’


अधिकारी महोदय ने जवाब दिया, ‘‘बिलकुल नहीं श्रीमानजी, गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के लोगों का भूख से मरना नामुमकिन है. क्योंकि इस सूची में शामिल सभी लोगों के पास 10-15 एकड़ जमीन और नौकरी है. इन में से कुछ आप के दल के हैं और कुछ दूसरे रसूख वाले लोग हैं.


‘‘भूख से मरने वालों... सौरी सर, मेरा मतलब है कि आम की गुठली खा कर मरने वालों का तो नाम भी इस सूची में नहीं था. फिर गरीबी की वजह से मरना... श्रीमानजी, यह अफवाह है.’’


मंत्रीजी ने सिर हिलाया और बोले, ‘‘हमें भी ऐसा ही लगता है. हम ने देश की बड़ीबड़ी पत्रपत्रिकाओं में इश्तिहार दे कर देश की जनता को यह बता दिया है कि हमारे यहां अनाज की कोई कमी नहीं है. गोदाम अनाजों से भरे पड़े हैं.’’


यह सुन कर सब लोग खुश हो गए. फिलहाल अपना पेट भरने का समय हो गया था. एक अधिकारी, जो इस के इंतजाम में सुबह से ही जुटा हुआ था, बोला, ‘‘सर, लंच का समय हो गया है. लंच करने चलिए, वरना पत्रकार घेर लेंगे. हम ने उन के खानेपीने का इंतजाम अलग से किया है. हम उन्हें आप की फिक्र से भी वाकिफ करा देंगे.’’


मंत्रीजी भी थक चुके थे, इसलिए मीटिंग बरखास्त करते हुए बोले, ‘‘ठीक है, तो लंच कर लिया जाए.’’


मंत्रीजी लंच के लिए चले गए, तो उन के साथ बड़ेबड़े अफसर और उन की पार्टी के कुछ छुटभैए नेता भी डाइनिंग रूम में घुस गए.


वहां दरवाजे पर एक आदमी खड़ा था, जो चेहरा पहचान कर ही लोगों को घुसने दे रहा था. एकदो लोगों से उस की कुछ बहस भी हुई. जो घुस गए, वे अपनी कामयाबी पर इठलाने लगे. जो रह गए, वे भड़ास निकाल रहे थे.


एक आदमी कुछ ज्यादा ही बोल रहा था, ‘‘देखो, वहां लोग भूखे मर रहे हैं और यहां मुरगमुसल्लम के साथ काजूकिशमिश पर हाथ साफ किए जा रहे हैं.’’


एक अफसर ने जब यह सुना, तो हाथ पकड़ कर उसे भीतर खींच लाया और उस के मुंह में एक पूरा भुना हुआ मुरगा ठूंस दिया. उस का मुंह बंद हो गया.


मंत्रीजी चटकारे ले कर खाना खा रहे थे. वे बोले, ‘‘खाना बढि़या बना है. रसोइया होशियार लगता है.’’


खाने का इंतजाम करने वाले अफसर की बांछें खिल गईं. उस ने कहा, ‘‘जी हां सर, काफी पुराना रसोइया है. अब तक सैकड़ों मंत्रियों और अफसरों को खाना खिला चुका है.


‘‘वह जानता है कि किस मौके पर क्या पकाना चाहिए. बाढ़ के समय मछली, सूखे के समय मुरगा और चक्रवात के समय दूसरे पक्षियों के बड़े जायकेदार आइटम पकाता है.


‘‘सर, आज जो मुरगे पके हैं, वे उसी गांव से मंगाए गए थे, जिस का आप को दौरा करना है.’’


मंत्रीजी बोले, ‘‘अच्छा, उसी गांव का मुरगा है. अरे भाई, जब वहां खाने को इतने मुरगे थे, तो लोगों को आम की गुठलियां खाने की क्या जरूरत थी. मुरगा भी तो खा सकते थे,’’ कह कर मंत्रीजी ने जोरदार ठहाका लगाया.


लंच के बाद थोड़ी देर आराम कर के मंत्रीजी का हैलीकौफ्टर उड़ा. अफसरों की कारों और जीपों का काफिला लंच के फौरन बाद ही रवाना हो गया था. उस गांव के लोगों के इंतजार की घडि़यां खत्म हुईं. हैलीकौप्टर नीचे उतरा.


मंत्रीजी हैलीकौप्टर से उतर कर आए. लोग उन को देख कर खुश हो गए.


मंत्रीजी के साथ हैलीकौप्टर से बड़ेबड़े बंडल भी उतारे गए. जनता ने समझा, शायद मंत्रीजी अपने साथ राहत का सामान लाए हैं, जबकि ऐसा होता नहीं है. आमतौर पर राहत की घोषणा दौरे के बाद राजधानी में पत्रकार सम्मेलन में की जाती है. यहां भी कुछ ऐसा नहीं था. वह सामान राशन नहीं कुछ और था.


अफसरों और पार्टी कार्यकर्ताओं को मंत्रीजी निर्देश दे रहे थे, ‘‘देखिए, इन बंडलों में ‘कोई भूख से नहीं मरेगा’ इश्तिहार वाले अखबार और पोस्टर हैं, जिस में हमारी सरकार ने बताया है कि देश में कितना अनाज है. साथ ही, गरीबों को मुफ्त अनाज देने की कितनी योजनाएं हैं. इन्हें सारे गांव में बंटवा दीजिए.



‘‘ध्यान रहे, उन परिवारों को, जिन के यहां मौतें हुई हैं, ये पोस्टर काफी तादाद में दें. गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को इन सब की 4-4 प्रतियां दी जाएं. इस में लापरवाही हुई, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी.


‘‘चलिए, अब मालाएं रहने भी दीजिए, गरदन दुखने लगी है. सभा की जगह कहां है वैसे भी हमें काफी देर हो गई है.’’


आखिर मंत्रीजी सभा की जगह पर पहुंचे. सभी छुटभैए नेता सरकार और मंत्रीजी की शान में तारीफ के पुल बांध रहे थे.


उस के बाद मंत्रीजी ने माइक संभाला, ‘‘भाइयो और बहनो, जब हमें यह पता चला कि इस गांव के कुछ लोग भूख से मरे हैं, तो हमें बेहद दुख हुआ. पर यहां आ कर मालूम हुआ है कि


वे भूख से नहीं, आम की जहरीली गुठली खा कर मरे हैं, तो हमें चैन आया. उन्हें आम की गुठली नहीं खानी चाहिए थी.


‘‘देखिए, देश के गोदाम अनाजों से भरे पड़े हैं. अनाज की कोई कमी नहीं है. अनाज गोदामों में पड़ापड़ा सड़ रहा है. यह मरने वालों की जल्दबाजी है. उन्हें हमारे इश्तिहार का इंतजार करना चाहिए था.


‘‘हम लोग टैलीविजन पर और अखबारों में जनता को समझाते हैं कि गंदा पानी नहीं पीना चाहिए और उलटासीधा भोजन नहीं करना चाहिए. कितनी बड़ी कंपनियां मिनरल वाटर और फास्ट फूड बना रही हैं. हमें उन का इस्तेमाल करना चाहिए. पर जो हो गया, सो हो गया.


‘‘हमें मरने वालों को ले कर गहरी हमदर्दी है. मैं अपने साथ ढेर सारे पोस्टर और अखबार लाया हूं, जिन में देश के बड़ेबड़े नेताओं के बयान और सरकारी इश्तिहार छपे हैं कि इस देश में अनाज की कोई कमी नहीं है.


‘‘आप लोगों तक शायद ये चीजें नहीं पहुंच पाती हैं, वरना आप लोग मरते नहीं. मेरा मतलब उन लोगों से है, जो मर गए हैं.


‘‘हमारे देश में ऐसे कई संतमहात्मा हुए हैं, जो महीनों तक कुछ नहीं खाते थे या घासपात चबा कर जिंदा रहते थे. आप भी उन्हीं संतों की संतान हैं. इस तरह भूख से मरना आप को शोभा नहीं देता. इस से देश बदनाम होता है. मरने के और भी कई रास्ते हैं. ‘‘मेरी आम जनता से अपील है कि वह भूख से न मरे, क्योंकि हमारे देश के गोदामों में अनाज भरा पड़ा है. ये इश्तिहार और पोस्टर इस बात के गवाह हैं. मुझे यकीन है कि सरकार की इस कार्यवाही से अब कोई भूखा नहीं मरेगा. ‘जय हिंद’.’’ भूखे लोगों के मुंह से धीरे से ‘जय हिंद’ निकला. कुछ दिनों बाद उस गांव में कुछ और लोग मर गए. उन के पोस्टमार्टम के बाद सरकार ने बयान दिया कि उन लोगों की मौत भूख से नहीं हुई, क्योंकि उन के पेट में ‘भूख से कोई नहीं मरेगा’ के इश्तिहारों और पोस्टरों की कतरनें मौजूद थीं.

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